सुनो भई कहानी:बारिश में भीगती चिया और चूज़ों की रोचक कहानी बच्चों को पढ़कर सुनाइए, उन्हें ख़ूब मज़ा आएगा

चूज़े बारिश में भीग रहे थे, उनकी फ़िक्र में चिया को अपनी मम्मी की हिदायत समझ में नहीं आई। तभी चूज़ों की मम्मी भी आ गई। चिया ख़ुश भी थी और हैरान भी

पुष्पेन्द्र यादव-

पांच साल की चिया बड़ी ही चुलबुली, नटखट और प्यारी है। खिलौनों में उसे टेडी बियर बहुत पसंद है, खाने में मम्मी के हाथ का हलवा और मौसम में बारिश। रिमझिम बारिश देखकर वह ख़ुशी से झूम जाती है। उसका मन करता है कि वह घंटों बारिश होते देखे। वैसे मन तो भीगने का भी करता है पर मम्मी उसके मन की होने नहीं देतीं। आज भी बारिश हो रही थी। चिया बरामदे में आई और हाथ बढ़ाकर बारिश की बूंदों को मुट्ठी में लेने का प्रयास कर ही रही थी कि मम्मी तेज़ स्वर में बोलीं, ‘चिया, जल्दी से अंदर आओ। भीग गई तो बीमार पड़ जाओगी।’ मम्मी की आवाज़ सुनते ही चिया मुंह फुलाकर बरामदे में रखी कुर्सी पर बैठ गई, पर उसका मुंह ज़्यादा देर फूला नहीं रह पाया। पड़ोस वाली आंटी ने अपने घर में मुर्गि़यां पाली हैं। उनके लॉन में लगी फेंसिंग को पार कर दो चूज़े फुदकते हुए उसके लॉन में आ गए। बरसात की बूंदों से उनके पंख भी चिपक गए थे। पेड़ के नीचे उन्हें दुबके देख चिया की आंखों में चमक आई और वह भागकर पापा के पास आई। पापा बड़े ध्यान से अख़बार पढ़ रहे थे। चिया उनका हाथ पकड़कर बोली, ‘जल्दी बाहर आओ। आंटी के घर से मुर्ग़ी के दो बच्चे लॉन में आ गए हैं।’ ‘कोई बात नहीं चिया, वो जैसे आए हैं चले जाएंगे।’ ‘अरे वो भीग रहे हैं।’ ‘उनको डांट लगाओ और बोलो बारिश में मत भीगो।’ पापा शायद कोई ज़रूरी ख़बर पढ़ रहे थे इसलिए बिना नज़र उठाते हुए बोले। चिया बरामदे में वापस आई और चिल्लाकर बोली, ‘बारिश में मत भीगो, बारिश में मत भीगो।’ चूज़ों ने अपने पंख फैलाए पर उन्होंने चिया का कहना नहीं माना। ‘ओफ्फोह, ये तो सुनते ही नहीं’ चिया ने परेशान होकर कहा और फिर भागी-भागी पापा के पास आई और बोली, ‘वो तो कहना मान ही नहीं रहे हैं।’ पापा इस बार भी अख़बार में नज़रें गड़ाए हुए बोले, ‘अच्छा! मम्मी को बताओ। उनकी बात ज़रूर सुनेंगे।’ चिया मम्मी के कमरे में गई, कुछ कहती उससे पहले ही मम्मी ने मुंह पर उंगली रखकर चुप रहने का इशारा किया तो वह धीरे से बोली,‘आंटी के घर से दो मुर्ग़ी के बच्चे आए हैं। बारिश में भीग रहे हैं।’ ‘भीगने दो।’ मम्मी फुसफुसाई। ‘अरे, वो बीमार हो जाएंगे।’ चिया भी फुसफुसाई। ‘रेशु को सुलाकर आती हूं, फिर डांट लगाऊंगी; कहूंगी मत भीगो। अब जाओ यहां से, नहीं तो रेशु उठ जाएगा।’ कुनमनाते रेशु को थपकी देते हुए मम्मी बोलीं तो चिया चुपचाप बरामदे में आ गई। भीगते चूज़ों को देख वह बोली, ‘उफ़्फ़, पता नहीं कब मम्मी आएंगी। मुझे ही कुछ करना होगा।’ चिया ने अपना दिमाग़ लगाया और फिर वह अपने लॉन में लगे पाम के पत्ते को तोड़ लाई। पाम के पत्ते को देखकर चूज़े घबराकर पहले तो इधर-उधर फुदके फिर सहसा तने हुए छाते जैसे पत्ते के नीचे आ गए। अब वे भीग नहीं रहे थे इसलिए उन्हें अच्छा लगा और चिया भीग रही थी इसलिए उसे बहुत अच्छा लग रहा था। अख़बार पढ़ने के बाद पापा को चिया का ख़्याल आया। उन्होंने चिया को आवाज़ लगाई। जवाब नहीं मिलने पर वह बरामदे में आ गए। उसे भीगते देख वह छाता लेकर उसके पास आए। कुछ कहते उससे पहले ही चिया ने मुंह बनाकर सफाई दी,‘भीग रहे थे बेचारे।’ ‘और तुम जो मज़े से भीग रही हो वो क्या है?’ ‘मैं बीमार पड़ी तो मम्मी दवा दे देंगी। ये बीमार हुए तो इनकी मम्मी दवा कहां से लाएंगी?’ ‘हां, ये बात तो है पर मुझे बताती तो। ख़ुद क्यों भीगने चली आई?’ ‘बताया तो था। आप पेपर पढ़ रहे थे। मम्मी रेशु को सुला रही थीं। ये बेचारे भीग रहे थे।’ ‘सब समझता हूं। भीगने का मन तो तुम्हारा भी था, है न।’ पापा मुस्कराए तो वह शरारती हंसी के साथ बोली, ‘मम्मी से मत कहना पर मन तो था थोड़ा-थोड़ा।’ ‘चलो अब अंदर चलो।’ पापा ने कहा। पर चिया भीगते चूज़ों को वहां छोड़कर जाने को राज़ी नहीं थी। पापा ने चूज़ों को हथेली पर लेने का प्रयास किया कि तभी कुक्क-कुक्क की आवाज़ सुनकर वह चौंके। देखा तो एक मुर्ग़ी तेज़ी से उनकी ओर बढ़ी। ‘लो इनकी मम्मी आ गई। अब तुम्हारी मम्मी भी आ जाए इससे पहले अंदर चलो और कपड़े बदलो।’ मुर्ग़ी को देख चूज़े फुदकते हुए मुर्ग़ी के पास चले गए तो चिया ने ख़ुशी से ताली बजाई। ‘कुक्क कुक्क पक्कपका कुक्क…’ की तेज़ आवाज़ के साथ मुर्ग़ी दोनों चूज़ों को खदेड़ती पड़ोस की फेंसिंग के पास ले गई। ‘पापा मुर्ग़ी क्या कह रही है?’ चिया ने पूछा, इससे पहले पापा कुछ कहते, बरामदे में खड़ी मम्मी सिर से पैर तक भीगी चिया को देखकर हैरानी से बोलीं, ‘मना किया था न बाहर मत निकलना। बारिश में मत भीगना। बीमार पड़ गई तो, बिल्कुल कहना नहीं सुनती हो।’ ‘यही बोल रही है वह उन दोनों से।’ मुर्ग़ी और चूज़ों की तरफ इशारा करते हुए पापा मुस्कराकर बोले तो चिया मुंह पर हाथ रखकर हंस दी


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